Saturday, February 20, 2010

रात भी नींद भी कहानी भी

रात भी नींद भी कहानी भी
हाय! क्या चीज़ है जवानी भी

दिल को शोलों से करती है सैलाब
ज़िन्दगी आग भी है पानी भी

ख़त क्या क्या मुझे नहीं कहती
कुछ सुनूं मैं तेरी जुबानी भी

पास रहना किसी का रात की रात
महमानी भी मज़बानी भी
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